देर है पर अंधेर नहीं - सब्र का फल मीठा होता है - Motivational Hindi story
देर है पर अंधेर नहीं - सब्र का फल मीठा होता है |
बहुत समय पहले की बात है एक किसी शहर में एक राजा रहता था ।राजा अपनी प्रजा का बहुत ध्यान रखता था पर राजा को अपनी प्रशंसा सुननी ज़्यादा पसंद थी अर्थात वे जनहित कार्य सिर्फ अपनी वाहवाही सुनने के लिया करता रहता था । वे रोज मंदिर में जाता था और भिखारियों को दान दे परमार्थ कमा रहा था । मंदिर की सीढ़ियों के बाहर दो भिखारी रोज़ बैठते थे एक था धनी ,दूसरा गोपाल ।
राजा दोनों को भिक्षा तो देता था पर ,सिर्फ धनी ही राजा के गुण गाता था और गोपाल सिर्फ भगवान को धन्यवाद कह वहाँ से निकल जाता था। राजा को बहुत गुस्सा आता कि देने वाला तो "मैं" हूँ ,पर ये गोपाल "भगवान "के गुण क्यों गाता रहता है।रोज यह सिलसिला चलता ही रहता और हमेशा की तरह गोपाल भी भगवान को ही धन्यवाद दे निकल जाता । एक दिन राजा का सब्र टूट गया और रोज रोज के अपमान से दुखी हो उसने गोपाल को सबक सिखाने की सोची । मंदिर पुहंचने के बाद राजा ने धनी को तरबूज दिया और गोपाल को कुछ सिक्के । राजा की योजना मुताबिक धनी के तरबूज में कुछ मोहरे डाल दी गयी थी क्योंकि राजा को लगता था धनी उसी को धन्यवाद करता है ,सो धनी ही इन मोहरों का हक़दार है नाकि गोपाल ।वो भगवान से उम्मीद रखता है तो भगवान ही उसकी मदद करे ।
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जब धनी घर की और जा रहा था उसने सोचा राजा ने तरबूज तो दे दिया पर ये नहीं सोचा कि मैं इसका क्या करूँगा सो उसने तरबूज को बेच दिया और आगे चला गया । गोपाल के पास कुछ सिक्के थे सो उसने अपने खाने के लिए एक तरबूज खरीद लिया उसी दूकान से यहाँ पर धनी ने उसे बेचा था और जब घर जाकर उसे खोला तो सोने की मोहरे देख हैरान हो गया और भगवान का शुक्र अदा किया ।
अगले दिन राजा ने देखा कि धनी के चेहरे पर कोई ख़ुशी नहीं थी, पर गोपाल खुश लग रहा था मानो खजाना हाथ लग गया हो ।राजा ने पूछा धनी बताओ तरबूज "मीठा" तो था न ,धनी बोला ,"जी महाराज "पर राजा को शंका हुई कि इसने तरबूज खाया भी कि नहीं । फिर उसने गोपाल से पूछा ,"तुम खुश लग रहे हो", गोपाल बोला ,"सब भगवान का आशीर्वाद है" ।राजा समझ गया योजना काम नहीं कर सकी।सो उसने फिर खीर से भरा घड़ा धनी को दे दिया जिसमें सोने की मोहरे थी और गोपाल को ये कह देने से मना कर दिया तुम तो भगवान से ही माँगो वही देंगे तुम्हे । गोपाल बोला जी महाराज वो ही सबको देता है मुझे भी देगा वो ज़रूर देगा । धनी जब घर पुहँचा तो उसने खीर खानी शुरू की पर घड़ा भरा पड़ा था उसने सोचा बाकी की बची गोपाल को दे देता हूँ ।
धनी ने बाकी बची खीर गोपाल को दे दी गोपाल ने भगवान को धन्यवाद किया और खीर खाने लगा अंत में सोने के सिक्के देख गोपाल खुश हो गया बोला," तेरा शुक्र है ,भगवान! तेरा शुक्र है" । अगले दिन राजा ने देखा कि आज धनी हीआया था ,गोपाल नहीं ।राजा ने पूछा ,"कल खीर खायी थी, कैसी लगी ,धनी बोला," बहुत स्वादिष्ट थी पर में सारी न खा पाया, सो गोपाल को बची दे दी । राजा "अचंभित ",बोला ,गोपाल क्यों नहीं आया ,धनी बोला," महाराज !उसने अपना व्यवसाय शुरू कर दिया है, सो वो अब भिक्षा नहीं मांगेगा बाकई भगवान ने उसकी मुराद सुन ली" ।राजा शर्मसार हो गया और मंदिर में गया ,दोनों हाथ जोड़ भगवान से बोला,"क्षमा, भगवान घोर अपराध हुआ ,मुझसे ,क्षमा भगवान ! सचमुच भाग्य से ज़्यादा न किसी को मिला है न मिलेगा ,जो उसका शुक्राना करेगा वो उसकी ज़रूर सुनता है ,मैंने भी नादानी और घमंड में धनी को अमीर बनाने की सोची पर किस्मत तो गोपाल की थी धनी बनने की और जरिया धनी बना वाह ! भगवान वाह।
और पढ़े लक़ीर के फ़क़ीर
सो इस कहानी से ये प्रेरणा मिलती है कि यदि भाग्यवश आप को कोई ओहदा मिल जाये तो इसका मतलब ये नहीं कि आप भगवान बन गए हो उसने जो जिसको देना है, देकर ही रहेगा और देगा भी उसे ,जो उसका शुक्राना करता है इसी विश्वास में ,कि देने वाला सिर्फ वही हैऔर वही देगा।
धनी ने बाकी बची खीर गोपाल को दे दी गोपाल ने भगवान को धन्यवाद किया और खीर खाने लगा अंत में सोने के सिक्के देख गोपाल खुश हो गया बोला," तेरा शुक्र है ,भगवान! तेरा शुक्र है" । अगले दिन राजा ने देखा कि आज धनी हीआया था ,गोपाल नहीं ।राजा ने पूछा ,"कल खीर खायी थी, कैसी लगी ,धनी बोला," बहुत स्वादिष्ट थी पर में सारी न खा पाया, सो गोपाल को बची दे दी । राजा "अचंभित ",बोला ,गोपाल क्यों नहीं आया ,धनी बोला," महाराज !उसने अपना व्यवसाय शुरू कर दिया है, सो वो अब भिक्षा नहीं मांगेगा बाकई भगवान ने उसकी मुराद सुन ली" ।राजा शर्मसार हो गया और मंदिर में गया ,दोनों हाथ जोड़ भगवान से बोला,"क्षमा, भगवान घोर अपराध हुआ ,मुझसे ,क्षमा भगवान ! सचमुच भाग्य से ज़्यादा न किसी को मिला है न मिलेगा ,जो उसका शुक्राना करेगा वो उसकी ज़रूर सुनता है ,मैंने भी नादानी और घमंड में धनी को अमीर बनाने की सोची पर किस्मत तो गोपाल की थी धनी बनने की और जरिया धनी बना वाह ! भगवान वाह।
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