लालच का फल हमेशा " कड़वा " ही होता है
लालच का फल "कड़वा" ही होता है |
एक गॉव में एक बूढ़ा किसान रहता था ,उसके तीन बेटे थे । एक दिन किसान की तबियत काफी ख़राब हो गयी । किसान को लगा कि अब वे नहीं बचेगा,यही सोच उसने तीनो बेटों को बुला कर अपनी सम्पति का बटवारा करने का निर्णेय सुनाया । सबसे बड़े बेटे रामू को ,उसने अपना आम का बगीचा दे दिया ,दूसरे शामू को बंजर ज़मीन और तीसरे भानू को एक घर दे दिया । सभी को सम्पति बांटने के बाद किसान निश्चित हो गया और उसने अपने प्राण त्याग दिए । पिता के जाने के बाद सभी ने अपनी मर्जी और समझ मुताबिक आगे बढ़ने का मन बनाया ।
एक दिन उसी गॉव में एक संत पधारे और तीनो भाईयो ने उनकी खूब सेवा की क्योंकि वे जानते थे कि संत का दिया वर, कभी खाली नहीं जाता । सबसे पहले बड़े लड़के रामू ने अपने मीठे और रसीले आमों से संत की खूब सेवा की और संत ने भी प्रसन्न हो पूछा ,"बोलो रामू , क्या चाहिए ", रामू काफी लालची था ,आम के बगीचे मिलने कि बावजूद भी वे और अमीर बनना चाहता था सो उसने संत से और भी अमीर होने का वर माँगा ,संत ने भी अपनी स्वीकृति दे दी । मंझले लड़के ,शामू ने भी जी जान खूब सेवा की और संत को प्रसन्न कर दिया संत ने पूछा ,"बोलो क्या चाहिए शामू ने कहा ,प्रभु मेरे पास ज़मीन तो बहुत है पर उपजाऊ नहीं है ,सो आप वर दे के सारी ज़मीन खूब उपजाऊ हो जाये और में रामू से ज़्यादा अमीर हो जाऊ ," संत ने मुस्करा स्वकृति दे दी ।
अब बारी थी, तीसरे लड़के भानू की ,जो करुणा भाव से, विनम्रता से सभी का बहुत सम्मान करता था। भानू ने भी संत की बहुत सेवा की और संत ने प्रसन्न हो पूछा ,"बोलो तुम्हे क्या चाहिए", भानू बोला ,"महाराज !मुझे विवाह के लिए एक सुशिल ,सौभागयशाली , कुशल कन्या की आवश्यक्ता है ,बस और कुछ नहीं , संत ने बोला ,"ऐसा ही होगा " ये बोल संत गॉव से चले गए और तीनो लड़कों के वरदान पूरे हुए, सभी अपनी ज़िन्दगी में व्यस्त हो गए ।
कई वर्ष बीत जाने के बाद एक दिन संत ने सोचा चलो जाकर सभी की खबर लेते है, देखे कैसे उपयोग किया है ,तीनो भाइयों ने वर का । सबसे पहले संत ,बड़े लड़के रामू के पास गए एक भिखारी के वैस में । जब संत ने रामू का दरवाज़ा खटखटाया तो रामू ने संत को बहुत बेइज़्ज़त किया और घर से बाहर जाने को कहा । "पता नहीं कहाँ से आ जाते है मुँह उठाकर ",ये सुन संत को गुस्सा आ गया बोले," मूर्ख तुझे अमीरी का वर देकर मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई जा अब तो गरीब से भी बद्द्तर्र हो जाये", ये कह संत अलोप हो गए । अब संत दूसरे लड़के शामू ,के पास गए ,जो अब रामू से भी ज़्यादा अमीर हो गया था । संत ने भिखारी बन भिक्षा मांगी तो शामू ने भी तिरस्कार कर संत को घर से निकाल दिया ,संत ने गुस्से में उसका वर भी निष्काषित कर दिया ।
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अब बारी थी ,भानू की ,संत ने अब उसकी परीक्षा लेने का मन बनाया देखु अब इसने क्या उपयोग किया ,वर का । संत भानू के घर जब भिखारी बन पहुंचे तो मौसम काफी ख़राब था ,संत ठंड से कांप रहे थे उन्होंने भानू से बिनती की मौसम ख़राब है," भूख लगी है क्या कुछ खाने को मिलेगा", भानू ने कहाँ ,"ज़रूर ,पर आप अंदर तो आये बाहर बहुत ठंड है" ।
भानू की पत्नी और भानू दोनों ने बड़े प्यार और सेवा भाव से संत की सेवा की और ये देख संत काफी खुश हुए कि इस लड़के ने अमीरी को छोड़ सिर्फ अपनी ज़रुरत मुताबिक एक कुशल गृहणी की मांग की अब संत को एहसास हुआ बाकई में भानू सबसे समझदार निकला ,चाहे दोनों कि पास पर्याप्त सहूलतें नहीं थी पर दोनों ने अपनी सूझ बूझ से घर को स्वर्ग बना रखा था, संत ने दोनों को आशीर्वाद दिया और रात को एक पीपल के पेड़ कि पास जाने का इशारा किया और चले गए ।जब दोनों दम्पत्ति पीपल के पास गए ,तो देखा वहां सोने के ढेरों घड़े पड़े थे । भानु समझ गया ,संत ने आशीर्वाद स्वरुप भेंट दी है ,सो दोनों ने इस का उपयोग जनहित कलियान में करना उचित समझ ,सारा पैसा गरीबो में बाटना शुरू कर दिया ।
तो तात्पर्य ये है कि इंसान को कभी कुछ भी भाग्य से ज़्यादा मिल जाता है तो वे उसका उपयोग अपनी नासमझी से कर ,खुद ही भाग्य को पीछे धकेल देता है । समझ का उचित दिशा में उपयोग करना चाहिए और लालच के बीज बोयेगे तो इसका फल हमेशा "कड़वा "ही मिलेगा ,न तो ये आप के काम आएगा और न ही दुसरो के।