New Hindi Short Stories for Kids 2024: Baba Farid Ji's Tales | अफगानी खजूर


New Hindi Short Stories for Kids 2024: Baba Farid Ji's Tales| अफगानी खजूर



New Hindi Short Stories for Kids 2024: Baba Farid Ji's Tales!
New Hindi Short Stories for Kids 2024: Baba Farid Ji's Tales!




शेख फरीद जी ,नाम के एक मशहूर सूफी संत थे। वो बचपन में काफी शरारती थे और उनकी शरारतों का एक किस्सा ये है। शेख फरीद जी की माता प्रतिदिन उन्हें नमाज़ करने को कहती थी, पर वो नहीं करते थे। वो कहते थे कि" मुझे अल्लाह से क्या मिलेगा? मैं क्यों करूँ ,नमाज़,आखिर नमाज़ में रखा क्या है "? उनकी माँ ने कहा कि "अल्लाह तुझे अफगानी खजूर देगा"। अब शेख फरीद जी को अफगानी खजूर बहुत प्रिय थे। वो उसका मनपसंद फल था। वह कहने लगा - सचमुच। माँ ने कहा - हाँ। शेख फरीद ने कहा कि देख लो, "अगर अल्लाह ने अफगानी खजूर नहीं दिए तो, मैं कभी नमाज़ नहीं करूँगा"। उनकी माँ ने दिलासा दे कहा -"अल्लाह ज़रूर देगा, बेटा"।




वो यह चाहती थी कि फरीद जी किसी तरह, शरारत से पीछा छोड़ दे, नमाज़ तो इसे क्या करनी आएगी, इसी बहाने अल्लाह को ही याद कर लेगा और मैं भी अपने काम कर लिया करुँगी।



बाबा फरीद जी की माता ने एक चद्दर बिछा कर ,उन्हें अपनी आँखें बंद कर बस यही दोहराने को कहा कि - "अल्लाह मुझे अफगानी खजूर दे, अल्लाह मुझे अफगानी खजूर दे"। शेख फरीद भी यही करते रहे -"अल्लाह मुझे अफगानी खजूर दे"। इसके बाद उनकी माँ अपने काम में लग गयी। उनकी माँ ने थोड़े से खजूर ला कर, उनकी चद्दर के नीचे रख दिए। जब माँ का काम हो लिया तो उसने कहा कि ,बेटा अब उठ कर देख कि अल्लाह ने अफगानी खजूर दिए है कि नहीं । जब शेख फरीद ने अपनी आखें खोली तो देखा कि सचमुच अफगानी खजूर थे ,वे ख़ुशी से झूम उठे ,उन्होंने अफगानी खजूर खा लिए और रोज़ इसी प्रकार अल्लाह को दोहराते रहते और अफगानी खजूर खाते रहते।एक दिन उनकी माता अफगानी खजूर रखना भूल गयी तो उन्होंने देखा कि आज भी फरीद जी अफगानी खजूर कैसे खा रहे है वे उन्हें डांटने लगी कहा से लाये हो फरीद जी बोले ,"अल्लाह ने तो दिए है ,मैं कहाँ से ला सकता हूँ ", उनकी माँ ने सोचा ,यह निकम्मा आप लाया है कहीं से और बहाने बना रहा है । उनकी माता ने दोबारा सख़्ती से पूछा , कि "सच बता तू कहाँ से लाया है"? शेख फरीद ने कहा, कि "माँ देख यहीं तो पड़े थे, मैं कहीं बाहर तो गया ही नहीं,फिर मैं बाहर से कैसे ला सकता हूँ । ये देख उनकी माँ भी हैरान हो गयी कि सचमुच फरीद जी बाहर तो गए नहीं ,फिर वो कैसे लाएंगे, ये तो अल्लाह का करिश्मा हो गया ,वाकई ही अल्लाह ने बहुत ही सुन्दर और स्वादिष्ट अफगानी खजूर भेज दिए थे जो तमाम दुनिया में भी नहीं मिल सकते थे । परमात्मा भी जब देखता है कि कोई उसकी बंदगी कर रहा है ,चाहे किसी लालच में ही सही ,पर कर तो रहा है ,फिर वो भी उसके विश्वास को टूटने नहीं देता अब यह लक्षण हैं ,फरीद जी की पूर्व जनम की बंदगी और कर्मों का ,क्योंकि वो पिछले जन्म के संस्कारी हंस थे और ऐसे हंस के लिए पूर्ण ब्रह्म परमात्मा साथ-साथ फिरते हैं। कहते हैं :-



जो जन हमरी शरण है, ताका हूँ मैं दास।
गेल-गेल लाग्या रहूँ, जब तक धरती आकाश।।



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