One city where people love to play holi with ashes of funeral pyre -Chita Bhasam
एक शहर ऐसा जहाँ होली रंगों से नहीं चिता भस्म से खेली जाती है।
people play holi with ashes of funeral pyre in Kashi
भारत का एक अनोखा शहर ,जहाँ होली रंगों की नहीं बल्कि चिता भस्म से खेली जाती है। जी हाँ,हम बात कर रहे है शिव नगरी 'काशी' की ,जहाँ 350 सालों से चल रही ये अनूठी और अनोखी परम्परा आज भी बड़े हर्षोउल्लास के साथ निभाई जा रही है।
मान्यता की बात करे तो लोगों का मानना है कि फाल्गुन शुकल एकादशी के दिन बाबा भोलेनाथ गौरी मैया का गौना करा लाते है इसी हर्षोउल्लास में लोग भसम की होली खेलते है क्योंकि भसम शिव को अति प्रिये है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार बसंत पंचमी के साथ जो शिव गौरी के विवाह का कार्यक्रम शुरू होता है ये सिलसिला होली तक जारी रहता है। महाशिवरात्रि पर शिव गौरी का विवाह और रंगभरनी पर गौरी की विदाई होती है। इसके अगले दिन शिव अपने बारातियों के साथ शमशान में दिगंबर रूप में होली खेलते हैं।इस वर्ष 17 मार्च को रंगभरनी एकादशी है। अगले दिन यहाँ चिता भसम से होली खेली जाती है।
मणिकर्णिका घाट पर हर साल लाखों की तादाद में देश विदेश से लोग इसी अलौकिक नज़ारे को देखने आते हैं।जो लोग शमशान के नाम से ही डरते है वो भी बड़ी ख़ुशी के साथ चिता भस्म होली में समलित होते हैं। हर साल यहाँ मेला लगता है और शिव भक्त दूर दूर से भस्म ए होली खेलने हेतु आते रहते हैं, और शिव गौरी का आशीर्वाद पाकर धन्य महसूस करते हैं ।
people play holi with ashes of funeral pyre in Kashi |